खंडवा- अकोला मीटरगेज ट्रेन का 31 दिसंबर को आखिरी सफर
पश्चिम रेलवे द्वारा सनावद- खंडवा ट्रैक पर ब्लॉक के निर्णय के बाद अब दक्षिण मध्य रेलवे ने भी गेज कन्वर्जन की तैयारी कर ली है।
खंडवा। पश्चिम रेलवे द्वारा सनावद- खंडवा ट्रैक पर ब्लॉक के निर्णय के बाद अब दक्षिण मध्य रेलवे ने भी गेज कन्वर्जन की तैयारी कर ली है। नांदेड़ मंडल भी 1 जनवरी से खंडवा से अकोला के बीच मीटरगेज ट्रेन बंद कर देगा। नांदेड़ मंडल के पास मीटरगेज ट्रेन नहीं होने से यह स्थिति बनी है।
इससे 230 किमी के ट्रैक पर ट्रेन नहीं चलने के कारण 15 ग्रामीण स्टेशनों के करीब 5 हजार यात्री प्रभावित होंगे। इसमें सबसे अधिक दिक्कत खंडवा से अकोला के बीच के ग्रामीण क्षेत्रों को होगी क्योंकि वहां सड़क मार्ग भी सुलभ नहीं है।
अजमेर से हैदराबाद को जोड़ने वाले रेलवे ट्रैक पर अब दोनों ओर से गेज कन्वर्जन का काम शुरू होगा। पश्चिम रेलवे जहां खंडवा-सनावद के 56 किलोमीटर रेलवे ट्रैक को ब्रॉडगेज करेगा, वहीं दक्षिण मध्य रेलवे अकोला-खंडवा के 174 किलोमीटर ट्रैक को ब्रॉडगेज में बदलेगा। रेल बजट में दोनों जोन को इस काम के लिए 200-200 करोड़ रुपए मिलने के बाद से इसकी योजना तैयार होने लगी थी।
वर्ष 2022 तक इंतजार
रेलवे अधिकारियों के अनुसार खंडवा-सनावद रेलवे ट्रैक बनने में तो करीब दो साल का समय लगेगा लेकिन खंडवा- अकोला ट्रैक के गेज कन्वर्जन में पांच साल से अधिक लग जाएंगे। इसके साथ ही महू से सनावद ट्रैक को जोड़ने में भी करीब पांच साल का समय लग रहा है क्योंकि इसे पश्चिम रेलवे ने दूसरे चरण में रखा है। ऐसे में रेलमार्ग से इंदौर और दक्षिण भारत से सीधे संपर्क के लिए खंडवा को वर्ष 2022 तक इंतजार करना पड़ेगा।
हैदराबाद व होलकर राजवंश ने बनवाया था ट्रैक
सन 1866 में हैदराबाद के निजाम और मालवा के होलकर राजवंश की मदद से ब्रिटिश सरकार ने यह मीटरगेज ट्रैक बनाया था। स्वतंत्र भारत में इस ट्रैक पर चलने वाली मीनाक्षी एक्सप्रेस सबसे लंबी मीटरगेज ट्रेन थी, जो आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान को जोड़ती थी।
पिछले 15 सालों में गेज कन्वर्जन के दौरान यह ट्रैक छोटा होता गया। अब एक साथ 230 किलोमीटर पर ब्लॉक लिया जा रहा है। इससे मीटरगेज ट्रेनों का अस्तित्व महू-सनावद के बीच सिमट कर रह जाएगा।
ट्रेन नहीं होने के कारण बनी स्थिति
अकोला से महू के बीच चलने वाली मीटरगेज ट्रेन पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल की हैं। नांदेड़ मंडल के पास न तो ट्रेन है न ही इसका मेंटनेंस स्टाफ। ऐसे में पश्चिम रेलवे और दक्षिण मध्य रेलवे के बीच खंडवा-अकोला के बीच ट्रेन संचालन की चर्चा चली लेकिन मंगलवार शाम 5 बजे नांदेड़ मंडल ने भी ब्लॉक लेने का फैसला ले लिया। अब 31 दिसंबर को अकोला से सनावद के बीच आखिरी बार मीटरगेज ट्रेन चलेगी।
भुसावल के जरिए जुड़ने का है विकल्प
खंडवा को अकोला से रेल संपर्क के लिए भुसावल के जरिए जोड़ने के विकल्प पर रेलवे विचार कर सकता है। इस रूट से हैदराबाद-अजमेर के बीच चलने वाली वीकली ट्रेन गुजरती है। काचीगुड़ा एक्सप्रेस व कुछ पैसेंजर ट्रेन ऐसी हैं, जिन्हें खंडवा तक आगे बढ़ाया जा सकता है। इस रूट पर मीटरगेज स्टेशन के विभिन्न ग्रामीण स्टेशन तो नहीं आएंगे लेकिन खंडवा से अकोला जाने वालों को राहत मिल सकेगी।
महाराष्ट्र सीमा के गांवों को सबसे अधिक परेशानी
खंडवा-अकोला के बीच मीटरगेज ट्रेन बंद होने से सबसे अधिक परेशानी महाराष्ट्र सीमा से सटे गांवों को होगी। डाबका, धूलघाट, हिवरखेड़ ऐसे स्टेशनों में शामिल हैं, जहां आसपास के गांवों में सड़क परिवहन भी सुलभ नहीं है। इसके साथ ही खंडवा के मोरधड़, टाकलखेड़ा, जेनवान, गुड़ी और बुरहानपुर जिले के तुकईधड़ के ग्रामीणों को भी परेशान होना पड़ेगा।
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