15 फ़रवरी 2010

१- देखो वसंत आ गया : शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

पीत पीत हुए पात, सिकुड़ी सिकुड़ी सी रात
ठिठुरन का अंत आ गया।
देखो वसंत आ गया।।

मादक सुगंध से भरी, पंथ-पंथ आम्र मंजरी
कोयलिया कूक कूक कर, इठलाती फिरे बावरी
जाती है जहाँ दृष्टि, मनहारी सकल सृष्टि
लास्य दिगदिगंत छा गया।
देखो वसंत आ गया।।

शीशम के तारुण्य का, आलिंगन करती लता
रस का अनुरागी भ्रमर, कलियों का पूछता पता
सिमटी-सी खड़ी भला, सकुचाई शकुंतला
मानो दुष्यंत आ गया।
देखो वसंत आ गया।।

पर्वत का ऊँचा शिखर, ओढ़े है किंशुकी सुमन
सरसों के फूलों भरा, मोहक वासंती उपवन
करने कामाग्नि दहन, केसरिया पहन वसन
मानो कोई संत आ गया
देखो वसंत आ गया।।
--
शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

12 टिप्‍पणियां:

  1. "सुन्दर रचना"
    प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com

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  2. peet peet hue paat,sikudi sikudi si raat
    thithuran ka ant a gayaa
    dekho vasant aa gayaa

    guruvar Shastri Nityagopal Katare kee ke in rasbhari panktiyon ke saath beshak basant aa gayaa.
    bahut bahut badhaee apko

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  3. छा गया गया बसंत ....आपकी
    सुंदर रचना के साथ ही....सुस्वागतम...

    आहा !!

    केसरिया पहन वसन
    मानो कोई संत आ गया
    देखो वसंत आ गया।।


    बधाई आपको शास्त्री जी और
    शुभ-कामनाएँ


    गीता पंडित

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  4. शुभारंभ!
    अति क्लिष्टारंभ!
    मधुकर का सोच जब अटक गया!
    मस्तिष्क की वीथियों में भटक गया!!
    भंगुरित कृदंत पा गया!
    अनुरणित वसंत आ गया!!

    --
    कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
    नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
    --
    संपादक : सरस पायस

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  5. अति सुंदर!
    "सरसों के फूलों भरा,मोहक वासंती उपवन
    वसंत आ गया"


    कोकिल ने आम्र कुञ्ज मैं
    पंचम राग सुनाई --
    आज बसंत बधाई

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  6. बहुत सुन्दर नवगीत है।
    इतनी सुन्दर रचना से वास्तव में बसन्त का आभास हो गया है।बधाई हो।
    धन्यवाद

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  7. धरती के कण-कण को वसन्तमय करती हुई एक उत्त्कृष्ट रचना है आपकी। और दुश्यन्त तथा सन्त की उपमा तो अनुपम है। बहुत बहुत धन्यवाद।
    सादर,
    शशि पाधा

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  8. वाह ! बहुत सुन्दर गीत है |
    बसंत आगमन का उल्लास पूर्णरूपेण झलकता है |

    अवनीश तिवारी

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  9. सरस, सार्थक नवगीत. असम्यक शब्द संयोजन, अछूते प्रतीक, मौलिक बिम्ब, साधुवाद.

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