गुमशुदा पति, पेंशनधारी पत्नी और 'वो'
- आभा शर्मा
- जयपुर से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
राजस्थान पुलिस को तीन साल से लापता केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ़) के सिपाही दशरथ को खोजने में सफलता मिली है.
राजस्थान पुलिस ने उनकी ख़बर देने पर 25,000 रूपए के इनाम की घोषणा की थी.
पर गुमशुदगी से लेकर सोमवार को दशरथ की गिरफ़्तारी के बीच की कहानी कुछ फ़िल्मी सी है.
कहानी कुछ फ़िल्मी है
दशरथ को मृत मानकर सीआरपीएफ़ की ओर से उनकी पत्नी को 17 लाख रूपए का मुआवज़ा दिया जा चुका है.
उन्हें हर महीने 12,000 की पेंशन मिल रही है, जबकि दशरथ दर असल ज़िंदा हैं और अपनी प्रेमिका के साथ हिमाचल प्रदेश में थे.
पुलिस महानिरीक्षक जयपुर रेंज डीसी जैन ने बताया कि झुंझुनू के दोरादास गाँव के निवासी दशरथ 1998 से सीआरपीएफ़ में सिपाही के पद पर नौकरी कर रहे थे.
फ़रवरी 2012 में वह बिहार के गया ज़िले स्थित अपनी यूनिट से एक महीने के अवकाश पर आए. लेकिन छुट्टी पूरी होने के बाद ना तो वह अपनी ड्यूटी पर ही गए और ना ही घर वापस लौटे.
कोर्ट के आदेश पर पुलिस जांच
वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
समाप्त
दशरथ के भाई पवन कुमार ने झुंझुनू थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. उनके पिता ने तीन लोगों के ख़िलाफ़ एक अन्य मामला भी दर्ज करवाया और राजस्थान हाईकोर्ट में हेबीअस कार्पस की याचिका दायर की.
जांच में दशरथ के मोबाइल की आख़िरी लोकेशन राजस्थान के चुरू ज़िले की थी. वहां मिले एक मानव कंकाल और दशरथ के मोबाईल लोकेशन की समानता के आधार पर ऐसी सम्भावना हुई कि दशरथ अब ज़िंदा नहीं हैं. हालांकि उक्त हड्डियों का डीएनए दशरथ के माता-पिता के डीएनए से मिलाया नहीं गया.
जांचकर्ता अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राकेश काछवाल ने बीबीसी को बताया कि “उसके ग़ायब होने के कारणों का अभी ठोस ख़ुलासा नहीं हुआ है और जांच जारी है. काफ़ी समय तक उसके नहीं मिलने के कारण घरवालों ने निराश होकर यह मान लिया कि वो ज़िंदा नहीं है.”
पुलिस के अनुसार दशरथ चित्तौड़गढ़ और जोधपुर में भी चोरी छिपे रहे और आरोप है कि बाद में वो भीलवाड़ा के एक ठेकेदार किशनलाल की पत्नी बक्षी देवी के साथ भगाकर सोलन, हिमाचल प्रदेश में रहने लगे. उन्हें वहीं से पकड़ा गया.