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केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों के परिजनों को BJP की नीति पड़ रही भारी, जानें क्‍या है मामला

हरियाणा विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए भाजपा में घमासान मचा हुआ है। हरियाणा के केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों की परिजनों को टिकट दिलाने की उम्‍मीद पर पार्टी की नीति भारी पड़ सकती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 07:18 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 12:19 AM (IST)
केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों के परिजनों को BJP की नीति पड़ रही भारी, जानें क्‍या है मामला
केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों के परिजनों को BJP की नीति पड़ रही भारी, जानें क्‍या है मामला

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए रणभेरी बज चुकी है और सभी दलों में टिकट के लिए नेताओं की भागदौड़ चरम पर है, लेकिन टिकट के लिए सबसे ज्‍यादा होड़ भाजपा में हैं। राज्‍य से कई केंद्रीय मंत्री और सांसद भी अपने परिजनों को टिकट दिलाने की चाहत रखते हैं। दूसरी ओर, भाजपा की नीति इसमें आड़े आ गई है। पार्टी नेतृत्‍व ने साफ संकेत दिया है कि केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के परिजनों को टिकट नहीं दिया जाएगा। वैसे, माना जा रहा है कि एक-दो अपवाद हाे सकता है।

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बताया जाता है कि पार्टी के केंद्रीय मुख्यालय में चुनाव समिति की करीब छह घंटे की मैराथन बैठक में प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल जैन और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाईकमान का यह नीतिगत फैसला सुनाया तो टिकट के तलबगार केंद्रीय मंत्रियों ने भी अपने तर्क रखे।

समिति की बैठक में हुए तर्क-वितर्क अब अंतिम फैसला हाईकमान के दरबार में होगा

प्रदेश प्रभारी और सीएम के कथन में यह संदेश भी था कि जींद जिला के उचानाकलां विधानसभा क्षेत्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्‍नी और मौजूदा भाजपा विधायक प्रेमलता इस नीति की अपवाद रहेंगी। इसका कारण यह भी बताया गया कि प्रेमलता उचाना कलां से पार्टी की मौजूदा विधायक हैं और उनके सामने संभवतया जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला चुनाव लड़ेंगे।

तैयार पैनलों पर भी प्रदेश प्रभारी और चुनाव प्रभारी ने किया गहन मंथन

इसके बाद केंद्रीय मंत्रियों की तरफ से भी कुछ नरम तो कुछ गरम तर्क रखे गए। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर और रतन लाल कटारिया ने प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालातों के मद्देनजर जीतने वाले उम्मीदवार को तरजीह देने का आग्रह किया।

गुर्जर ने कहा कि पार्टी नेताओं की तरफ से हाईकमान को यह वस्तुस्थिति भी बताई जानी चाहिए कि कौन उम्मीदवार सिर्फ राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से है और कौन संगठन कैडर का समर्पित कार्यकर्ता है। इसके अलावा जीत के फैक्टर को भी सामने रखा जाना चाहिए। गुर्जर की बात का समर्थन करते हुए कुछ सदस्यों ने यह भी कहा कि रतन लाल कटारिया की पत्नी व प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष बंतो देवी कटारिया या गुर्जर के पुत्र और फरीदाबाद जिला भाजपा के महामंत्री व निगम के वरिष्ठ उपमहापौर देवेंद्र चौधरी को पार्टी कैडर कार्यकर्ता से अलग श्रेणी रखने के बारे में विचार होना चाहिए।

बैठक में राव इंद्रजीत सिंह के तीखे तेवरों को देखते हुए चुनाव समिति में नेताओं के परिजनों को टिकट दिए जाने पर असमंजस की स्थिति बन गई। इससे निकलने के लिए प्रदेश प्रभारी और सीएम ने यह भी प्रस्ताव रखा कि वस्तुस्थिति एक बार फिर हाईकमान के सामने रख दी जाएगी। रविवार देर रात चुनाव समिति में तय हुए पैनलों को अंतिम रूप देने के लिए सोमवार भी डॉ.अनिल जैन, प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने केंद्रीय मंत्री और प्रदेश में चुनाव प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर सहित सहप्रभारी भूपेंद्र सिंह के साथ चर्चा की।

सूत्रों के अनुसार, इसमें पहले चरण में घोषित किए जाने वाली 50 सीटों की सूची को अंतिम रूप दे दिया गया। केंद्रीय मंत्रियों और सांसद जिन सीटों से अपने परिजनों के लिए टिकट मांग रहे हैं, उन सीटों की घोषणा भी अब दूसरे चरण की सूची में ही होगी। यह भी बता दें कि हरियाणा में सांसद नायब सैनी, रमेश कौशिक, धर्मबीर सहित तीनों केंद्रीय मंत्री और पूर्व केंद्रीय बिरेंद्र सिंह अपने परिजनों के लिए टिकट मांग रहे हैं।

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सिटिंग गेटिंग के मुद्दे पर रखे तर्कसंगत तथ्य

पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता को मौजूदा विधायक होने के नाते टिकट दिए जाने संबंधी चर्चा के दौरान बैठक में यह तर्क भी रखे गए कि 2014 में यदि सांसद धर्मबीर, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत, रतनलाल कटारिया और कृष्णपाल गुर्जर के परिजनों को भी टिकट दे दिए जाते तो वे भी सिटिंग विधायक ही होते। यह ऐसा तर्क था जिससे ज्यादातर नेता सहमत थे।

गुर्जर नहीं भूले गोयल का विरोध करना

केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र के पैनल पर चर्चा के दौरान यह भी कहा कि उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने उनका लोकसभा चुनाव के दौरान विरोध किया था और उनके समर्थक कांग्रेस उम्मीदवार अवतार भड़ाना की मदद करते रहे। गुर्जर की बात समिति ने सुनी मगर इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

सांसद की संस्तुति को दी जाएगी तरजीह

भाजपा हाईकमान ने बेशक अभी तक नीतिगत फैसला यह दिया हुआ कि केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों सहित बड़े नेताओं के परिजनों को टिकट नहीं दी जाएंगी मगर इसके साथ ही चुनाव समिति में यह बात भी उभरकर सामने आई कि प्रत्येक सांसद की संस्तुति को विशेष रूप से तरजीह दी जाएगी। जिस सीट पर विवाद होगा, उसके पैनल पर अंतिम फैसला सीएम मनोहर लाल और प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल जैन करेंगे।

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