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Astrology / शनि के बारहवें वा व्यय भाव में फल | Saturn in Twelfth House
शनि के बारहवें वा व्यय भाव में फल | Saturn in Twelfth House शनि के बारहवें वा व्यय भाव में फल | Saturn in Twelfth House. बारहवें भाव को व्यय तथा मोक्ष का भाव माना गया है। लाल किताब के अनुसार यह स्थान खुले आकाश का है । द्वादश भाव ( 12th House) से किसी भी व्यक्ति के
व्यय, शय्यासुख,
विदेश यात्रा ( Foreign Travel) ,
अस्पताल, जेल, मोक्ष इत्यादि को देखा जाता है। शनि यदि बारहवें भाव में स्थित है तो उसकी दृष्टियां धन , रोग तथा भाग्य स्थान पर होती है इस कारण से इस दृष्टियों का प्रभाव जातक के धन, रोग,ऋण शत्रु और भाग्य वृद्धि के ऊपर पड़ेगा। इस भाव में स्थित शनि अन्य ग्रहो की युति, दृष्टि व स्वामित्व के अनुसार शुभ-अशुभ फल भी प्रदान करता है, जिसका निर्धारण व्यक्ति के व्यक्तिगत जन्म कुंडली के आधार पर ही किया जा सकता है ।
ज्योतिष के ऋषि-आचार्यने बारहवें स्थान (12th House) में स्थित शनि को शुभ और अशुभ दोनों फल देने वाला कहा है। किन्तु तार्किक रूप से यह कहा जा सकता है कि पापयुक्त या नीच का शनि जब इस भाव में बैठता है तो इस स्थान को पीड़ित करता है और इस भाव के शुभत्व को नष्ट करता है इसी कारण जातक को अपने धन लाभ से कभी संतुष्टि नही मिलती है।
बारहवें भाव में शनि के सम्बन्ध में आचार्य गर्ग का मत—–
नीचकर्माश्रित पापो हीनांगो भोग लालसः।
व्यवस्थानगते मन्दे क्रूरेषु कुरुते रुचिम।
अर्थात यदि व्यय स्थान में शनि विराजमान हो तो मनुष्य नीच कर्म करता है। वह पापी तथा किसी एक अंग से अपंग होता है। वह भोगो में लालसा रखता है। इसकी रूचि क्रूर कामों में ज्यादा होती है।
बारहवें भाव में शनि वाले जातक का स्वभाव | Nature of Native
बारहवें भाव का शनि मिश्रितफल देता है। ऐसा व्यक्ति निर्लज्ज निर्दयी तथा लोगो से अपमानित होता है। ऐसे लोग नीच लोगो की संगति में रहने वाला होता है। चूंकि यह स्थान मोक्ष वा मुक्ति का भी है इस कारण से शनि जातक को एकांत प्रिय भी बनाता है। इस व्यक्ति संतोषी , त्यागी और नम्र होता है। ऐसा व्यक्ति शत्रुओं पर शीघ्र ही विजय प्राप्त करता है।
यदि शनि इस स्थान में उच्च का है या अपने घर (मकर और कुम्भ राशि) का है तो जातक जीवन में संघर्ष करते हुए धन अर्जन करता है। वह कुछ शुभकर्म करने के साथ साथ कर्म के महत्त्व को समझने वाला होता है।
इस भाव का शनि व्यक्ति को बिना किसी विशेष कारण के संतुष्ट नहीं होने देता है। चूंकि यह भाव मुक्ति वा मोक्ष का है इसलिए कहा जाता है कि पूर्व जन्म में व्यक्ति अपनी जीवन यात्रा के उद्देश्य को पूरा किये बिना ही मरा है।ऐसे व्यक्ति का लक्ष्य अपने सामर्थ्य से अधिक होता है।
शनि का बारहवें भाव में फल : सामान्य फल विचार
किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में यदि बारहवां भाव शुभ ग्रहों के द्वारा देखा जा रहा हो या इस स्थान पर शुभग्रह बैठा हो तो जातक सामान्यतः किसी शुभ कार्यों में खर्च करने वाला होता है। यदि व्यय भाव बलहीन है तथा पाप ग्रह शनि बैठा है या पाप ग्रहों से दृष्ट है तो जातक अशुभ कार्य में खर्च करता है। जातक का खर्च अपने स्वास्थ्य पर या केश- मुकदमे में होता है।
द्वादश भाव बेड प्लेजर वा शय्या सुख का भाव है इस स्थान में बैठा शनि जातक को शारीरिक सुख (
sexual Romance) में कमी करता है। इस कमी के कारण दाम्पत्य जीवन प्रभावित होता है तथा पति पत्नी के मध्य आये दिन आंतरिक कलह होती रहती है। कई बार तो डिवोर्स (
Divorce ) की स्थिति भी बन जाती है।
जिस भी जातक की जन्मकुंडली में शनि बारहवें भाव में बैठे हैंऔर उस पर गुरु की दृष्टि है तो वैसा व्यक्ति दान और आध्यात्म में रुचि लेता हैं। किसी भी तरह से पाप प्रभाव में आता है तो जातक की रात्रि की नींद बाधित होती है।
व्यय भाव में शनि और व्यवसाय
द्वादश भाव में अशुभ शनि का फल
इस स्थान में शनि यदि पीड़ित हो तो अत्यधिक व्यय करने वाला होता है। यदि शनि का सूर्य या चन्द्रमा से सम्बन्ध बनता है और किसी भी तरह से अन्य अशुभ ग्रह से भी संबंध बन जाता है तो वह अपने प्रिय व्यक्ति के मृत्यु से दुखी होता है। इस कारण उदास और शोकपूर्ण जीवन व्यतीत करने लगता है।
शनि किस राशि में शुभ फल देता है
शनि यदि बारहवें भाव में मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु तथा मीन राशि में बैठा है और शुभ ग्रह से युत है तो शुभ फल प्रदान करता है | इसी भाव में शनि यदि मेष, वृश्चिक एवं मीन राशि में स्थित है तो अशुभ फल देने में समर्थ होता है। मिथुन, वृश्चिक और कुम्भ राशिगत होने पर जातक की क्रांतिकारी विचार का होता है।
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